स्वास्थ्य
मानसिक तनाव बढ़ने से रोका कैसे जाए ? !
समय विज्ञान के द्वारा घटाया जा सकता है मानसिक तनाव !जानिए कैसे -
मानसिक तनाव घटाने के लिए तरह तरह की काउंसलिंग की जा रही है योग करने की सलाह दी जा रही है स्कूलों में हैपीनेस की कक्षाएँ चलाई जा रही हैं कुछ सरकारें आनंद मंत्रालय बनाना चाह रही हैं !इन सबके बाद भी एक से एक पढ़े लिखे शिक्षित समझदार लोगों को, बड़े बड़े व्यापारियों अधिकारियों आदि को तनाव से परेशान होते देखा जा रहा है आत्म हत्या जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ भी घटित होते देखी जा रही हैं किंतु मानसिकतनाव घटाने में सफलता नहीं मिल पा रही है !
कई बार लगता है कि अपने पूर्वजों के सामने भी समस्याएँ बहुत होती थीं उस समय कितने बड़े बड़े संयुक्त परिवार हुआ करते थे सबके साथ सबको तालमेल बैठाना पड़ता था कितना कठिन होता है यह काम किंतु वे बड़ी आसानी से कर लिया करते थे !पति पत्नी के बीच कभी तलाक जैसी नौबत नहीं आती थी
Mentel Health मानसिक स्वास्थ्य ! आखिर हमें तनाव क्यों होता है ?
जब हम कोई ऐसा काम करना चाह रहे होते हैं जिसमें समय हमारा साथ नहीं दे रहा होता है इसलिए हमारा वो काम या तो बनता नहीं है या फिर बनते बनते बिगड़ जाता है !उसका हमें तनाव होता है !
कई बार हम कोई वस्तु या कोई प्रापर्टी लेना चाह रहे होते हैं समय उसमें हमारा साथ नहीं दे रहा होता है इस बात का हमें तनाव होता है !
कई बार हम किसी लड़की या लड़के को चाहने लगते हैं हम उसे प्रेमी या प्रेमिका अथवा पति या पत्नी बना लेना चाहते हैं किंतु वो ऐसा नहीं चाहता या चाहती है जिसका हमें तनाव रहने लगता है !
कई बार हम अपनी ताकत से धन के बल पर किसी ऐसी लड़की या लड़के से विवाह कर लेते हैं जिसे पति या पत्नी से सेक्स का सुख समय के सहयोग से 90 प्रतिशत निश्चित किया गया होता है !किंतु हमारे जीवन में सेक्स का सुख 60 प्रतिशत ही समय के सहयोग से निश्चित किया गया होता है इस बिषय में 'समय' हमारा इतना ही सहयोग दे रहा होता है ! ऐसी परिस्थिति में हमारे जीवन साथी की तुलना में हमें सेक्स सुख 30 प्रतिशत कम मिलना होता है और उसे हमसे 30 प्रतिशत अधिक !इसलिए उस 30 प्रतिशत अधिक को कवर करने के लिए उसे हमारे अलावा किसी दूसरे से संबंध बनाने होते हैं जिसका हमें तनाव होता है !ऐसी परिस्थितियों को संयम और सदाचरण से मन को नियंत्रित किया जा सकता है किंतु इसके विषय में पहले से पता हो तब तो ऐसा किया जा सकता है अन्यथा लोग समय के बहाव में बह जाते हैं !
कुल मिलाकर समय किसी को बना सकता है बिगाड़ सकता है बिल्कुल नष्ट कर सकता है !बिलकुल बचा सकता है !इसलिए समय से टकराना ठीक नहीं है क्योंकि समय के वेग को प्रयास सावधानी और संयम पूर्वक थोड़ा बहुत मोड़ा जा सकता है किंतु रोका नहीं जा सकता है !समय के विरुद्ध चलने से तनाव ही होता है !
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'समय' बहुत बलवान होता है 'समय' की शक्ति पहचानो !
समय किसी को बना सकता है बिगाड़ सकता है बिल्कुल नष्ट कर सकता है !बिलकुल बचा सकता है !इसलिए समय से टकराना ठीक नहीं है क्योंकि समय के वेग को प्रयास सावधानी और संयम पूर्वक थोड़ा बहुत मोड़ा जा सकता है किंतु रोका नहीं जा सकता है !
समय किसी को बहुत ऊपर उठा सकता है बहुत नीचे गिरा सकता है! समय किसी को किसी से मिला सकता है वही समय उससे अलग भी कर सकता है !जो समय किसी को रोगी बना देता है वही समय उसे रोग मुक्त और स्वस्थ भी कर सकता है !समय किसी को राजा बना देता है और समय ही किसी को भिखारी बना देता है !समय बहुत बलवान होता है इसलिए सबसे पहले समय की ताकत को पहचानना चाहिए क्योंकि जब समय साथ छोड़ता है तब कोई दूसरा कोई मदद नहीं कर सकता है करेगा भी तो उससे अपने को लाभ नहीं हो पाता है और जब समय साथ देने लगता है तब कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता है !
तनाव भी तो समय के कारण ही बढ़ता है !हम जिस विषय में जब जैसा चाहते हैं यदि वैसा नहीं होता है तो हमें दुःख होता है किंतु यदि उससे विपरीत अर्थात उल्टा होने लगता है तो हमें तनाव होता है !किसी के जीवन में या प्रकृति में होता वैसा ही है जैसा समय होता है !इसलिए किसी का आने वाला समय कैसा होगा हमारे यहाँ इसका पूर्वानुमान लगाया जाता है
रोग और मृत्यु का समय सबका निश्चित होता है केवल पूर्वानुमान लगाने में चूक जाते हैं लोग !
सभी समस्याओं की जड़ है 'समय' और सभी समस्याओं के समाधान का कारण भी है समय !अक्सर देखा जाता है कि कोई स्वस्थ व्यक्ति अचानक अस्वस्थ होने लगता है इसका कारण होता है उसका अपना बुरा समय !इसी प्रकार से कोई अस्वस्थ व्यक्ति बिना किसी प्रयास के स्वस्थ होने लगता है इसका कारण उसका अपना अच्छा समय होता है !समय बदलते ही उसके जीवन में परिस्थितियाँ बदलने लगती हैं !
सुदूर गाँवों में जंगलों में जहाँ चिकित्सा सुविधाएँ नहीं हैं वहाँ के लोग भी बुरे समय में अस्वस्थ होते हैं और अच्छे समय में स्वस्थ होते देखे जाते हैं !यदि ऐसा न होता तो संसाधनों के अभाव में भी उनमें से रोगी लोग स्वस्थ कैसे हो जाते हैं ! ऐसी जगहों पर बच्चों के टीका करण की समुचित व्यवस्था न होने पर भी उनके शरीर निरोग और बलिष्ठ देखे जाते हैं!
जो जन्मा है वो मरता अवश्य है जिस समय जन्म हुआ होता है उसकी मृत्यु कब होगी यह भी उसी समय में निश्चित हो जाता है !मृत्यु का समय आने पर उसकी मृत्यु होती ही है वो जंगलों में हो या शहरों में गरीब हो या रईस बहुत बड़े हॉस्पिटल में चिकित्सकों की सघन देख रेख में हो या जंगल में अकेला हो समय आने पर मृत्यु सभी जगहों पर होते देखी जाती है !जहाँ चिकित्सा के बहुत अच्छे साधन होते हैं मृत्यु का समय आने पर वहाँ भी लोग मरते हैं !यदि मृत्यु का कारण समय न होता तो बड़े हॉस्पिटलों में चिकित्सकों की सघन देख रेख मेंरहने वाले साधन संपन्न रोगियों को अमर होना चाहिए था किंतु ऐसा नहीं होता है इसलिए जन्म और मृत्यु का मुख्यकारण सबका अपना अपना समय होता है !
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चिकित्सा में समय की बहुत बड़ी भूमिका है !
किसी का समय ठीक हो तो कम चिकित्सा या बिना चिकित्सा के भी बड़े बड़े रोग भाग जाते हैं !समय साथ देता है तो ग्रामीण किसान मजदूर एवं जंगल में रहने वाले आदिवासी भी स्वस्थ रह लेते हैं बिना कोई टिका लगे हुए भी उनके बच्चे स्वस्थ सुदृढ़ एवं निरोग रह लेते हैं !समय साथ न दे तो बड़े बड़े राजा महाराजा सेठ साहूकार मंत्री आदी सारे साधन होने के बाद भी रोगी होते और मरते देखे जाते हैं !इससे ये सिद्ध हो जाता है कि चिकित्सा बहुत कुछ है लेकिन सबकुछ नहीं है !स्वस्थ रहने के लिए समय और चिकित्सादोनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है !किसी का समय जब ख़राब होता है तब उसे कोई रोग होता है या किसी के साथ कोई शारीरिक दुर्घटना तभी घटित होती है जब उसका समय ख़राब होता है !जब तक किसी का समय ख़राब रहता है तब तक उस रोगी को अच्छे डॉक्टरों के विषय में पता नहीं होता है जब उनके विषय में पता होता है तब उनसे मुलाकात करना बड़ा कठिन हो जाता है जब वो मिल पाते हैं तो उन्हें रोग समझ में नहीं आता है जब वे रोग समझ पाते हैं तब वो जो दवा लिखते हैं वो या तो मिलती नहीं है और यदि मिल भी गई तो उस रोगी पर असर नहीं करती है !दवा के लाभ न करने पर डॉक्टर लोग दवाएँ बदलते रहते हैं !जबकि रोगी लोग चिकित्सक बदलते रहते हैं !स्वदेश से लेकर विदेश तक चिकित्सा करवाते करवाते जब उतना समय बिता लेते हैं जितना बुरा होता है !उसके बाद उस रोगी के स्वस्थ होने का जब समय आ चुका होता है उस समय ऐसे स्वस्थ होने लायक रोगियों की औषधी स्वयं उनका अपना समय ही बन जाता है !और वह स्वयं ही स्वस्थ होने लगते हैं !